पहला दिन जब मैं स्कूल पहुँचा, मन में बहुत उत्साह और थोड़ी सी घबराहट थी।
नया माहौल, नए लोग… और एक अनजाना-सा डर।
स्कूल के गेट से अंदर कदम रखा तो देखा – सब अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त थे।
मैंने ऑफिस में धीरे से कहा, “आज मेरी जॉइनिंग है।“
तभी एक सज्जन मिले – अखिलेश सर।
उन्होंने मुस्कुराकर पूछा, “अरे, नया टीचर है क्या?”
कुछ बातचीत हुई। उन्होंने अपने तरीके से मुझे सहज महसूस कराया।
बातों-बातों में वे मुझे स्कूल के दूसरे स्टाफ के बारे में भी बता रहे थे, खासकर उन लोगों के बारे में जो मेरे गाँव के आसपास के थे।
यह बात मुझे थोड़ी अपनापन दे गई।
सबसे मिलाने के बाद अखिलेश सर बोले –
“चलिए सर, पहले एक चाय हो जाए।”
हम स्कूल के कैंटीन में गए, उन्होंने मुझे चाय पिलाई।
ये कोई मामूली चाय नहीं –
एक रिश्ता बनने की शुरुआत थी।
और सच में…
पता नहीं था उस चाय की गरमाहट मेरे पूरे टीचिंग लाइफ का हिस्सा बन जाएगी।
अब जब भी थोड़ा सा समय मिलता है, बस एक इशारा होता है और हम समझ जाते हैं –
चाय टाइम हो गया है।
मैं, अखिलेश सर, बंटी सर और साथ में अनुराग सर ।
हम सब उस चाय की टपरी पर मिलते हैं, बातें होती हैं, हँसी होती है…
वो पल अब रूटीन का हिस्सा नहीं, जीवन का हिस्सा बन गया है।
लंच टाइम हो गया था।
बंटी सर बोले – “चलो, कुछ खाते हैं।”
उन्होंने मुझे समोसा खिलाया, जो उस वक्त भूख से कहीं ज़्यादा,
दोस्ती और अपनत्व का स्वाद था।
स्कूल में एक और नाम जुड़ा – विद्या।
शुरुआत में जब बच्चों के सामने खड़ा होता, तो आवाज़ काँप जाती थी, आत्मविश्वास डगमगाता था।
तब विद्या साथ होती थी।
मैं कुछ समझा नहीं पाता, तो वह बच्चों से बात कर लेती।
धीरे-धीरे उसने मुझे सिखाया –
कैसे बच्चों से जुड़ना है, कैसे खुद को अभिव्यक्त करना है।
धीरे-धीरे कुछ और दोस्त भी ज़िंदगी में शामिल हुए –
स्नेहा A स्नेहा B, बबिता, ज्योति, सुमिका, ममता.
शुरुआत में ये सभी सिर्फ सहकर्मी लगे,
पर अब ये सब मेरे जीवन के वो पन्ने हैं, जिन्हें पलटना हमेशा सुकून देता है।
💛 हैप्पी फ्रेंडशिप डे 💛